नया संसद भवन 150 वर्षों तक कार्य करने में है सक्षम | जानिए क्यों खास है नया संसद भवन | More Capable The New Parliament House!

नया संसद भवन

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नया संसद भवन
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हाल ही में भारत के प्रधानमंत्री ने देश के नए संसद भवन का उद्घाटन किया जो पुनर्निर्मित सेंट्रल विस्टा परियोजना का हिस्सा है। आर्किटेक्ट बिमल पटेल द्वारा डिज़ाइन किये गए नए संसद भवन का निर्माण वर्ष 2019 में शुरू हुआ।
नई संसद में कुल 1280 सासदों के बैठने की व्यस्था है। लोकतंत्र का मंदिर यानी संसद भवन काफी खूबसूरत दिखता है। संसद भवन के द्वार पर सत्यमेव जयते लिखा गया है।

नया संसद भवन
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संसद का वर्तमान भवन 1927 में बन था, जो अब करीब 100 साल पुराना होने वाला है। इसके दोनों सदनों में सांसदों के बैठने की सुविधाजनक व्यवस्था का अभाव होने की वजह से नई संसद की जरूरत थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पुराने संसद भवन का नाम ‘संविधान सदन’ रखा है।

नया संसद भवन
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिसंबर, 2020 में नए संसद भवन की आधारशिला रखी थी। तीन साल से कम समय में नई संसद बनकर तैयार हो गई। त्रिकोणीय आकार की चार मंजिला यह इमारत 64,500 वर्ग मीटर में फैली है। पुरानी संसद से नई संसद भवन लगभग 17,000 वर्ग मीटर बड़ा है।

अत्याधुनिक तकनीक से तैयार इस भवन पर भूकंप का असर नहीं होगा। नई संसद भवन को बनाने में 1200 करोड़ की लागत आई है, जो पहले अनुमानित लागत 971 करोड़ रुपये तय थी। नई संसद भवन की इमारत का निर्माण टाटा प्रोजेक्ट्स ने किया है।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसी साल मई में नए संसद भवन का उद्घाटन किया था।

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इस भवन में लोकसभा कक्ष में 888 सदस्यों, तो राज्यसभा कक्ष में 300 सदस्यों के आराम से बैठने की व्यस्था है। अगर दोनों सदनों की संयुक्त बैठक होती है, तो लोकसभा कक्ष में कुल 1280 सदस्यों के बैठने की व्यवस्था है।
तिकोने आकार के नए संसद भवन का निर्माण 15 जनवरी 2021 को शुरू हुआ था।

इस बिल्डिंग को पिछले साल नवंबर में पूरा हो जाना था। पीएम नरेंद्र मोदी ने 10 दिसंबर 2020 को नए संसद भवन की आधारशिला रखी थी। तब उन्होंने कहा था कि संसद की नई बिल्डिंग से अधिक सुंदर कुछ नहीं हो सकता, जब भारत अपनी आजादी के 75 साल मनाएगा।

नया संसद भवन
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नए संसद भवन में सुरक्षा को देखते हुए कई इंतजाम किए गए हैं। इस इमारत में छह प्रवेश द्वार बनाए गए हैं। इनमें से तीन अश्व, गज और गरुड़ गेट औपचारिक द्वार हैं। इन गेटों का उपराष्ट्रपति, स्पीकर और प्रधानमंत्री इस्तेमाल करेंगे। तीन अन्य द्वार मकर गेट, शार्दूल गेट और हंस गेट का सांसदों और जनता के लिए इस्तेमाल किया जाएगा।

नई संसद भवन में अधिकारियों और कर्मचारियों के ऑफिसों को भी हाईटेक बनाया गया है। इनमें कैफे, डाइनिंग एरिया, कमेटी मीटिंग के अलग-अलग कमरों में हाईटेक डिवाइसेज को लगाया गया है। कॉमन रूम्स, महिलाओं के लिए लाउंज और वीआईपी लाउंज की भी व्यवस्था है।

नया संसद भवन
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नई बिल्डिंग की सबसे बड़ी विशेषता संविधान हॉल है। कहा जा रहा है कि इस हॉल में संविधान की कॉपी रखी जाएगी। इसके अलावा महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, सुभाषचंद्र बोस, देश के प्रधानमंत्रियों की बड़ी तस्वीरें भी लगाई गई हैं।

नई संसद की खासियत:-

अभी लोकसभा में 590 लोगों की सीटिंग कैपेसिटी है। नई लोकसभा में 888 सीटें हैं और विजिटर्स गैलरी में 336 से ज्यादा लोगों के बैठने का इंतजाम है।
अभी राज्यसभा में 280 की सीटिंग कैपेसिटी है। नई राज्यसभा में 384 सीटें हैं और विजिटर्स गैलरी में 336 से ज्यादा लोग बैठ सकेंगे।

नया संसद भवन
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लोकसभा में इतनी जगह होगी कि दोनों सदनों के जॉइंट सेशन के वक्त लोकसभा में ही 1272 से ज्यादा सांसद साथ बैठ सकेंगे।
संसद के हर अहम कामकाज के लिए अलग-अलग ऑफिस हैं। ऑफिसर्स और कर्मचारियों के लिए भी हाईटेक ऑफिस की सुविधा है।

कैफे और डाइनिंग एरिया भी हाईटेक है। कमेटी मीटिंग के अलग-अलग कमरों में हाईटेक इक्विपमेंट लगाए गए हैं।
कॉमन रूम्स, महिलाओं के लिए लाउंज और VIP लाउंज की भी व्यवस्था है।

नया संसद भवन
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नया संसद भवन आकार में त्रिकोणीय है, यह ऐसा इसलिये है क्योंकि जिस भूखंड पर बना है वह त्रिकोणीय है।
हरित निर्माण तकनीकों का उपयोग के कारण निर्मित नए भवन में पुराने भवन की तुलना में विद्युत की खपत में 30% की कमी आने की उम्मीद है।


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इसमें वर्षा जल संचयन और जल पुनर्चक्रण प्रणालियों को शामिल किया गया है। यह अधिक स्थान की उपलब्धता हेतु डिज़ाइन किया गया है, साथ ही यह अगले 150 वर्षों तक कार्य करने में सक्षम है।
चूँकि दिल्ली भूकंपीय क्षेत्र-V में है, इसलिये इमारत को भूकंप-रोधी बनाया गया है।

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नए लोकसभा कक्ष में एक मोर विषयवस्तु को अपनाया गया है, जिसमें दीवारों और छत पर राष्ट्रीय पक्षी के पंखों के समान नक्काशीदार डिज़ाइन तैयार किये गए हैं, जो टील कार्पेट से सुसज्जित हैं।
राज्यसभा कक्ष को लाल कालीनों के साथ इसकी थीम के रूप में कमल से सज़ाया गया है।

नया संसद भवन
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लोकसभा और राज्यसभा दोनों में एक बेंच पर दो सांसद बैठ सकेंगे और प्रत्येक सांसद की डेस्क पर टच स्क्रीन होगी।
लोकसभा कक्ष में वर्तमान के 543 के बजाय 888 सीटें होंगी, जिसकी क्षमता बढ़कर 1,272 हो जाएगी। सेंट्रल हॉल के अभाव में लोकसभा का उपयोग दोनों सदनों की संयुक्त बैठक हेतु किया जाएगा।

नया संसद भवन
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राज्यसभा कक्ष अब 250 की मौजूदा क्षमता के विपरीत 384 संसद सदस्यों (सांसदों) को समायोजित कर सकता है। परिसीमन के बाद सांसदों की संख्या में भविष्य में होने वाली किसी भी वृद्धि को ध्यान में रखकर दोनों कक्षों की क्षमता को पहले से अधिक किया गया है।

नए भवन में एक संविधान सभागार बनाया गया है, जहाँ भारतीय लोकतंत्र की यात्रा का दस्तावेज़ीकरण किया गया है।
मूल रूप से वर्ष 1993 में संसद के मुख्य द्वार पर स्थापित की गई महात्मा गांधी की 16 फुट ऊँची काँस्य प्रतिमा को पुराने और नए भवनों के बीच स्थानांतरित कर दिया गया है।

नया संसद भवन
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यह भवन राष्ट्रीय प्रतीकों से भरा हुआ है, जिसमें राष्ट्रीय प्रतीक अशोक स्तंभ के सिंह को भवन के शीर्ष पर स्थापित किया है जिसका वज़न 9,500 किलोग्राम है और ऊँचाई 6.5 मीटर है।


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अंग्रेज़ो से सत्ता के हस्तांतरण को चिह्नित करने के लिये आज़ादी की पूर्व संध्या पर जवाहरलाल नेहरू को दिया गया गोल्डन राजदंड (सेन्गोल) स्पीकर के पोडियम के पास नए लोकसभा कक्ष में रखा जाएगा। यह राजदंड उन्हें तमिलनाडु के पुजारियों द्वारा दिया गया था।

नया संसद भवन
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नया संसद के पर्यावरण के अनुकूल दृष्टिकोण के अनुसार सभी रिकॉर्ड- सदन की कार्यवाही, प्रश्न और अन्य व्यवसाय को डिजिटाइज़ किया जा रहा है। इसके अतिरिक्त टैबलेट और आईपैड एक आदर्श प्रदर्शित करेंगे।

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भारतीय संस्कृति और वास्तु शास्त्र में उनके महत्त्व के आधार पर भवन के सभी प्रवेश द्वारों पर संरक्षक मूर्तियों के रूप में शुभ पशुओं को प्रदर्शित किया जाएगा। इनमें हाथी, घोड़ा, चील, हंस और पौराणिक जीव शार्दुला और मकर शामिल हैं।

क्यों बनाई गई नई बिल्डिंग:-

मौजूदा संसद भवन को 95 साल पहले 1927 में बनाया गया था। मार्च 2020 में सरकार ने संसद को बताया था कि पुरानी बिल्डिंग ओवर यूटिलाइज्ड हो चुकी है और खराब हो रही है। इसके साथ ही लोकसभा सीटों के नए सिरे से परिसीमन के बाद जो सीटें बढ़ेंगीं, उनके सांसदों के बैठने के लिए पुरानी बिल्डिंग में पर्याप्त जगह नहीं है।

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इसी वजह से नई बिल्डिंग बनाई जा रही है। सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत राष्ट्रपति भवन से इंडिया गेट तक 3 किलोमीटर लंबे सड़क का रिडेवलपमेंट किया गया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल 8 सितंबर को इसका उद्घाटन किया था।

उन्होंने उसी दिन इसका नाम राजपथ से बदलकर कर्तव्य पथ करने का ऐलान किया था। कर्तव्य पथ, संसद भवन के अलावा प्रधानमंत्री का ऑफिस-घर, सेंट्रल सेक्रेटेरियट की बिल्डिंग और वाइस प्रेसिडेंट एन्क्लेव भी सेंट्रल विस्टा पावर कॉरिडोर का हिस्सा हैं। इन्हें केंद्र सरकार की एजेंसी CPWD बना रही है।

अधिक जानकारी के लिए यहां संपर्क करें:- https://centralvista.gov.in/new-parliament-building.php


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