परीक्षा पे चर्चा 2024 | जानिए क्यों जरूरी है बच्चों के लिए ये 10 बातें | प्रधानमंती मोदी ने बताई ये 10 बातें | Know why these 10 things are important for children
mohitsharma4255
परीक्षा पे चर्चा 2024
परीक्षा पे चर्चा 2024
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज सोमवार यानी 29 जनवरी को 10वीं और 12वीं के स्टूडेंट्स से लाइव बातचीत की। नई दिल्ली के भारत मंडपम में परीक्षा पे चर्चा के 7वें संस्करण में 3 हजार स्टूडेंट्स शामिल हुए। ये सभी अगले कुछ महीनों में बोर्ड एग्जाम देंगे। बोर्ड एग्जाम को लेकर हुई इस चर्चा में सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से 2-2 स्टूडेंट्स और एक टीचर भी ऑनलाइन शामिल हुए।
पीएम मोदी ने करीब 2 घंटे 10 मिनट तक स्टूडेंट्स के सवालों के जवाब दिए। परीक्षा पे चर्चा 2024 दौरान पीएम ने बोर्ड एग्जाम के स्ट्रेस से निपटने, एग्जाम हॉल में परफॉर्म करने और एग्जाम्स की तैयारी करने के टिप्स दिए।
(परीक्षा पे चर्चा 2024)नरेन्द्र मोदी द्वारा दिए गये बच्चों को टिप्स;- 1. जीवन में कॉम्पिटीशन होना जरूरी : जीवन में कॉम्पिटीशन होना जरूरी है। हमें खुद को किसी भी प्रकार के प्रेशर को झेलने लायक बनाना चाहिए। एक प्रेशर ही होता है जो हमने अपने लिए तैयार किया होता है। हमें खुद को इतना स्ट्रैच नहीं करना चाहिए कि स्टेबिललिटी टूट जाए। 2. बच्चों को हर वक्त समझाएं नहीं : माता-पिता को ज्यादा समझाने से बचना चाहिए। कभी-कभी पिता बच्चों को बोलते रहते हैं, पिता चुप होते हैं तो मां बोलने लगती हैं। फिर बड़ा भाई बोलने लगता है। कई बच्चे इसे सकारात्मक लेते हैं लेकिन इससे भी दबाव पड़ता है। कॉम्पिटिशन का जहर पारिवारिक वातावरण में ही बो दिया जाता है। इसलिए सभी पैंरेट्स से आग्रह है कि बच्चों के बीच कम्पेरिजन मत कीजिए।इससे बच्चों के अंदर द्वेष का भाव पैदा हो जाता है।
3. कॉम्पिटीशन नहीं, इंस्पिरेशन लें : 100 नंबर का पेपर है। अगर आपका दोस्त 90 नंबर ले आया तो आपको उससे स्पर्धा नहीं करनी, अपने आप से करनी है कि आपको कितने नंबर लाने हैं। अपने अंदर ईर्ष्या का भाव न आने दें। मां-बाप हर बार अपने बच्चों को कोसते रहते हैं कि देखो तुम खेलते हो, वो पढ़ता है। मां-बाप इससे बचें। जो माता-पिता जीवन में ज्यादा सफल नहीं हुए, जिनके पास दुनिया को ज्यादा बताने को नहीं है, वे बच्चे के रिपोर्टिंग कार्ड को अपना विजिटिंग कार्ड बना लेते हैं। 4. शिक्षक क्लास को खुशनुमा बनाएं : शिक्षक संगीत के जरिए क्लास का माहौल खुशहाल कर सकते हैं। टीचर को स्टूडेंट्स से रिलेशन ठीक करना चाहिए। इससे परीक्षा के दिनों में तनाव की नौबत ही नहीं आएगी। स्टूडेंट को कभी लगता ही नहीं कि शिक्षक का उसकी जिंदगी में विशेष स्थान है। जिस दिन टीचर सिलेबस से निकलकर स्टूडेंट्स से रिलेशन डेवलप करेंगे, तो बच्चे उनसे हर प्रेशर को डिस्कस करेंगे।
5. एग्जाम से पहले मन शांत रखें : परीक्षा के दौरान होने वाले तनाव का सामना करने के लिए हमें छोटी-छोटी गलतियों से बचना चाहिए। ड्रेसिंग सेंस, खाने-पीने का तनाव ना लें। परीक्षा शुरु होने तक किताब से ना चिपके रहें। एग्जाम शुरु होने कुछ देर पहले मन को शांति दें। एग्जाम हॉल में सुकून से बैठिए, दोस्तों से हंसी-मजाक कीजिए। डीप ब्रीथिंग कीजिए। 8-10 मिनट खुद के लिए जिएं, खुद में खो जाएं। फिर जब आपके हाथ में पेपर आएगा, तो आपको तनाव नहीं होगा।
6. एग्जाम लिखने की प्रैक्टिस करें : क्वेश्चन पेपर किसे पहले मिला, मुझे बाद में मिला जैसी फिजूल की बातों में अपनी एनर्जी खर्च न करें। एग्जाम में बड़ा चैलेंज लिखना होता है, इसलिए लिखने की प्रैक्टिस करें। इन चीजों पर आप ध्यान केंद्रित करेंगे, तो एग्जाम हॉल में बैठने के बाद प्रेशर लगेगा ही नहीं। सबसे पहले पूरा पेपर पढ़ लें, फिर हर सवाल का एनालिस्ट करें कि किस सवाल में कितने मिनट मिनट लगेंगे। 7. पहलवानों जैसी एक्सरसाइज जरूरी नहीं : अच्छी सेहत के लिए न्यूट्रिशन पर ध्यान देना चाहिए। आहार संतुलन और फिटनेस के लिए एक्सरसाइज बेहद जरूरी है। बिना कॉम्प्रोमाइज के एक्सरसाइज करना चाहिए। पहलवानी जैसी एक्सरसाइज न भी करते हों तो भी हर दिन 2 बेसिक फिजिकल एक्सरसाइज के लिए समय निकालें। सनलाइट से बॉडी को रिचार्ज करने की कोशिश करें। साथ ही हमें पर्याप्त नींद लेनी चाहिए। एग्जाम की वजह से ओवरनाइट पढ़ाई नहीं करनी चाहिए, इससे तनाव बढ़ता है। मैं बिस्तर पर लेटते ही 30 सेकेंड में डीप स्लीप में पहुंच जाता हूं। मेरा जागृत अवस्था के समय पूरी तरह जागृत हूं, और जब सोया हूं तो पूरी तरह सोया हूं। 8. पूरी नींद लेना बेहद जरूरी : आपमें से बहुत सारे छात्र मोबाइल फोन का उपयोग करते होंगे। कुछ लोग होंगे जिन्हें घंटों तक मोबाइल फोन चलाने की आदत हो गई होगी। हम रील्स देखने की वजह से नींद को कम आंकते हैं। इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस की तरह शरीर को भी चार्ज करना चाहिए। अगर हम स्वस्थ्य ही नहीं रहेंगे, तो तीन घंटे एग्जाम में बैठने का सामर्थ्य खो देंगे।
9. करियर सिलेक्शन में खुद पर विश्वास करें : खुद पर विश्वास करें, दूसरों की सलाह से करियर का सिलेक्शन नहीं करें। दरअसल, सोचने के संबंध में दुविधा है, इसलिए आप 50 लोगों से राय लेते हैं। आप किसी की एडवाइज पर डिपेंड रहते हैं। सरल एडवाइज को अडेप्ट कर लेते हैं। सबसे बुरी स्थिति कंफ्यूजन है। हमें हर सिचुएशन में निर्णायक होना चाहिए। जो लोग रेस्ट्रॉन्ट के टेबल पर निर्णय नहीं ले पाते हैं, वो कभी खाने का आनंद नहीं ले सकते हैं। कंफ्यूजन किसी के लिए भी अच्छा नहीं है, इसलिए हमें इससे बाहर आना चाहिए। 10. माता-पिता का भरोसा जीतें : टीचर्स और पेरेंट्स सोचें कि कैसे हम ट्रस्ट डेफिशिएट का अनुभव कर रहे है। हमें बच्चों के आचरण को एनालिसिस करते रहना चाहिए। विद्यार्थियों को ऐसा जरूर सोचना चाहिए कि हमें पेरेंट्स का ट्रस्ट नहीं तोड़ना चाहिए। इससे टीचर और मां-बाप के लिए आप पर से भरोसा नहीं टूटेगा। मां-बाप को बच्चों पर ट्रस्ट करना सीखना चाहिए। एक दूसरे से बात करने का तरीका सुधारना चाहिए। मां-बाप और बच्चों की दूरी डिप्रेशन का कारण बनती है। सामाजिक अनुभव एजुकेशन सिस्टम पर प्रभाव डालता है।