हेमंत सोरेन | 5 घंटे से चल रही है पूछताछ | धारा-144 लगाने का आदेश जारी | Hemant Soren can be arrested | Jharkhand Land Scam case |
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झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से ईडी की पूछताछ
झारखंड के जमीन घोटाला केस में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से प्रवर्तन निदेशालय (ED) सीएम हाउस में करीब 5 घंटे से पूछताछ कर रही है। लैंड स्कैम केस को लेकर सवाल-जवाब किए जा रहे हैं। सीएम हाउस के बाहर फोर्स बढ़ा दी गई है। बाहर जेएमएम के कार्यकर्ता प्रदर्शन कर रहे हैं। प्रशासन ने सीएम हाउस के बाहर शाम 7 से 11 बजे तक धारा-144 लगाने का आदेश जारी किया है। ED की टीम 9 गाड़ियों के काफिले में CM हाउस पहुंची। इनमें से 3 गाड़ियों में अधिकारी थे, जबकि 6 गाड़ियां उनकी सुरक्षा में तैनात थीं। ED के कुल 7 अधिकारी पूछताछ के लिए रांची पहुंचे हैं। इनमें तीन अधिकारी दिल्ली से आए हैं।
जमीन घोटाला मामले में एक ओर जहां ईडी की टीम मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से पूछताछ कर रही है। वहीं, दूसरी ओर सीएम आवास से कुछ ही मीटर की दूरी पर झामुमो के कार्यकर्ता और सीएम हेमंत सोरेन के समर्थक बड़ी संख्या में जमा हुए है और नारेबाजी कर रहे हैं. कई कार्यकर्ता तीर-धनुष लेकर भी पहुंचे हैं। झारखंड के रांची में सीएम हाउस के 500 मीटर के दायरे में शाम सात बजे से रात 11 बजे तक के लिए धारा 144 लगाई गई है। धारा 144 लगाने के पीछे एसडीओ उत्कर्ष कुमार ने अपने आदेश में कहा है कि कई संगठन के कार्यकर्ता जुटे हुए हैं। लॉ एंड ऑर्डर में संभावित परेशानी को देखते हुए निर्णय लिया गया है।
सीएम हाउस की सुरक्षा और कड़ी कर दी गई है। सेंट्रल फोर्स की अतिरिक्त टीम बुलाई गई है। कई वाहनों से फोर्स पहुंच रही है। सीएम हाउस पहुंचे ईडी के अधिकारी और सीआईएसएफ के जवान बॉडी कैमरा से लैस हैं। जानकर बताते हैं कि पूछताछ के दौरान सारी गतिविधियों को रिकॉर्ड रखने के लिए ऐसा किया जाता है। मुख्यमंत्री आवास के बाहर काफी संख्या में पुलिस बल की मौजूदगी है। धरना प्रदर्शन कर रहे लोगों को रोक दिया गया है। सोरेन से पूछताछ के विरोध में झारखंड मुक्ति मोर्च के सदस्य सीएम हाउस के बाहर जुटे हुए हैं। मुख्यमंत्री आवास से 50 मीटर दूर पार्टी के झंडा-बैनर लेकर लोग सीएम के समर्थन और केंद्र के खिलाफ में नारेबाजी कर रहे हैं। रांची के SP चंदन कुमार सिंह और ADM लॉ एंड ऑर्डर सहित तमाम अधिकारी पैदल ही सीएम हाउस पहुंचे। यहां सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लिया।
ईडी:-
प्रवर्तन निदेशालय (ED) एक बहु-अनुशासनात्मक संगठन है जो मनी लॉन्ड्रिंग (अवैध धन को वैध करना) के अपराधों और विदेशी मुद्रा कानूनों के उल्लंघन की जाँच करता है। यह वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग के अधीन कार्य करता है। भारत सरकार की एक प्रमुख वित्तीय जाँच एजेंसी के रूप में ED भारत के संविधान और कानूनों के सख्त अनुपालन में कार्य करता है।
प्रवर्तन निदेशालय का मुख्यालय नई दिल्ली में है, जिसका नेतृत्व प्रवर्तन निदेशक करता है इसकी स्थापना 01 मई, 1956 को हुई थी, जब विदेशी मुद्रा विनियमन अधिनियम, 1947 (फेरा,1947) के अंतर्गत विनिमय नियंत्रण विधियों के उल्लंघन को रोकने के लिए आर्थिक कार्य विभाग के नियंत्रण में एक प्रवर्तन इकाई का गठन किया गया था। वर्ष 1960 में इस निदेशालय का प्रशासनिक नियंत्रण, आर्थिक कार्य मंत्रालय से राजस्व विभाग में हस्तांतरित कर दिया गया था। वर्तमान में, निदेशालय राजस्व विभाग, वित्त मंत्रालय, भारत सरकार के प्रशासनिक नियंत्रण में है।
प्रवर्तन के विशेष निदेशकों की अध्यक्षता में मुंबई, चेन्नई, चंडीगढ़, कोलकाता और दिल्ली में पाँच क्षेत्रीय कार्यालय हैं। अधिकारियों की भर्ती सीधे और अन्य जाँच एजेंसियों के अधिकारियों में से की जाती है। इसमें IRS (भारतीय राजस्व सेवा), IPS (भारतीय पुलिस सेवा) और IAS (भारतीय प्रशासनिक सेवा) के अधिकारी शामिल हैं जैसे- आयकर अधिकारी, उत्पाद शुल्क अधिकारी, सीमा शुल्क अधिकारी और पुलिस।
ईडी के कार्य :-
1. विदेशी मुद्रा का संरक्षण और तस्करी गतिविधियों की रोकथाम अधिनियम, 1974 के तहत इस निदेशालय को FEMA के उल्लंघन के संबंध में निवारक निरोध के मामलों को प्रायोजित करने का अधिकार है। 2. ED को विदेशी मुद्रा कानूनों और नियमों के उल्लंघनों की जाँच करने, कानून का उल्लंघन करने वालों पर निर्णय लेने तथा उन पर जुर्माना लगाने का उत्तरदायित्व सौंपा गया है। 3. हाल ही में विदेशों में आश्रय लेने वाले आर्थिक अपराधियों से संबंधित मामलों की संख्या में वृद्धि के साथ भारत सरकार ने भगोड़ा आर्थिक अपराधी अधिनियम, 2018 (FEOA) पेश किया और ED को इसके प्रवर्तन का ज़िम्मा सौंपा गया है। 4. धन शोधन निवारण अधिनियम (PREVENTION OF MONEY LAUNDERING ACT-PMLA)– यह एक आपराधिक कानून है, जो निदेशालय के अधिकारियों को अंतिम रूप से जाँच पड़ताल करने, पूछताछ करने और जुर्माना लगाने का अधिकार देता है। 5. भगोड़े आर्थिक अपराधी अधिनियम, 2018 के तहत भारत से भागे लोगों के मामले देखना। इस अधिनियम का उद्देश्य ऐसे भगोड़े आर्थिक अपराधियों को दंडित करना है जो भारतीय न्यायालयों के अधिकार क्षेत्र से बाहर रहकर कानून की प्रक्रिया से बचने के उपाय खोजते हैं।