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A R Rahman | क्या था ए आर रहमान का असली नाम? | धर्मपरिवर्तन क्यों किया? | 4 साल की उम्र से हुआ संगीत का सफर शुरू | Read A R Rahman Full Excellant Biography.

A R Rahman

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संगीतकार एआर रहमान 54 साल के हो गए हैं। 6 जनवरी,1967 को उनका जन्म चेन्नई में हुआ था। 2018 में उनकी बायोग्राफी लॉन्च की गई थी। यह रहमान की ऑफिशियल बायोग्राफी है, जिसे कृष्णा त्रिलोक ने लिखा है। वे रहमान को फिल्म म्यूजिक में मौका दिलाने वाले त्रिलोक नायर के बेटे हैं। किताब में रहमान के जीवन के कई अनछुए पहलू सामने आए हैं, जिनकी चर्चा कम ही होती है।

रहमान को अपने जन्म के समय के नाम ‘दिलीप कुमार’ से नफरत है क्योंकि यह उन्हें उनके मुसीबतों भरे कल की याद दिलाता है। उन्हें अपने पुराने नाम पर कितना एतराज है, यह इस बात से भी पता चलता है कि उन्होंने किताब के प्रकाशकों से कहा कि किताब में उनका नाम दिलीप कुमार केवल एक बार ही लिखा जाए। पूरी किताब में रहमान या एआर नाम का ही इस्तेमाल हुआ है।

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रहमान का नाता संगीत से उसी समय जुड़ गया था, जब 4 साल की छोटी-सी उम्र में उन्हें पियानो पर बैठा दिया गया था। हालांकि संगीतकार पिता आरके शेखर के निधन के बाद घर खर्च चलाने के लिए उनकी मां, पिता के वाद्य यंत्रों को किराए पर देती थीं। दुनियाभर के इन यंत्रों को चलाना सिर्फ रहमान को ही आता था, इसलिए वे यंत्रों के साथ जाते थे।

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रहमान कभी भी फिल्मों में संगीत देना नहीं चाहते थे। वे बैंड और नॉन-फिल्मी म्यूजिक तक सीमित रहना चाहते थे। लेकिन उन्हें फिल्म म्यूजिक चुनना पड़ा। 11 साल की उम्र में वे मलयालम म्यूजिक में बतौर इंस्ट्रूमेंटलिस्ट स्थापित हो गए थे। 25 साल की उम्र में रहमान खुद को बेहद असफल मानते थे और रोज आत्महत्या के बारे में सोचते थे।

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रहमान ने अपना पहला रिकॉर्डिंग स्टूडियो ‘पंचतान रिकॉर्ड इन’ चेन्नई में अपने घर के आंगन में बनाया था। इसी स्टूडियो ने उनकी जिंदगी बदल दी। अब भी वे जब चेन्नई में होते हैं, ज्यादातर इसी स्टूडियो में रिकॉर्डिंग करते हैं। उनके सहयोगियों के मुताबिक रहमान का सबसे अधिक रचनात्मक कार्य यहीं सामने आता है।


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रहमान की अरेंज मैरिज हुई थी। अपनी पहली मुलाकात में उन्होंने पत्नी सायरा बानो से कहा था, ‘अगर हम डिनर कर रहे होंगे और मुझे कोई धुन सूझेगी, तो हमें डिनर छोड़ना होगा।’ इस बारे में उनकी पत्नी कहती हैं कि रहमान ने उन्हें शादी से पहले ही ‘ऑटो-ट्यून’ कर दिया था।

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ऑस्कर सेरेमनी में पहनने के लिए फिल्मों में रहमान को मौका देने वाले डायरेक्टर मणि रत्नम विशेष ड्रेस देना चाहते थे। लेकिन रहमान की पत्नी ने मशहूर फैशन डिजाइनर सब्यसाची से काली शेरवानी तैयार करवाई थी। म्यूजिक में परफेक्शन लाने के लिए रहमान कोई भी एल्बम रिलीज होने के बीस दिन पहले उसके गानों में लगातार डूबे रहते हैं।

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वे एक-एक गाने को कई बार सुनते हैं। इस दौरान वे मुश्किल से दिन में एक घंटे सोते हैं। किताब रहमान के मजाकिया पहलू को भी सामने लाती है। एक गाने की रिकॉर्डिंग के दौरान डायरेक्टर इम्तियाज अली ने पूछा कि क्या सिंगर मोहित चौहान को कॉफी दे दें? रहमान ने मना करते हुए कहा, ‘नहीं। उन्हें तड़पने दो। दर्द उन्हें बेहतर संगीतकार बनाएगा।’

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वे ऐसे संगीतकार हैं, जो अपने संगीत से किसी भी फिल्म को ब्लॉकबस्टर बनाने के लिए काफी हैं। फिल्मों में अपने गानों से एआर रहमान ने दर्शकों के दिलों पर एक अलग ही छाप छोड़ी है। उन्होंने ‘रोजा’, ‘बॉम्बे’, ‘ताल’, ‘जोधा अकबर’, ‘रंग दे बसंती’, ‘स्वदेस’, ‘रॉकस्टार’ जैसी फिल्मों को संगीत दिया है।

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एआर रहमान का जन्म एक हिन्दू परिवार में हुआ था और उनका नाम दिलीप रखा गया था। फिर 23 साल की उम्र में रहमान ने इस्लाम कबूल किया और अपना नाम ‘अल्लाह रखा रहमान’ यानी एआर रहमान कर लिया। ऐसा उन्होंने अपने एक गुरु कादरी इस्लाम से मिलने के बाद किया।

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एआर रहमान ने मणि रत्नम की फिल्म रोजा से बतौर संगीतकार सफर शुरू किया। इस फिल्म में मणि रत्नम ने दिग्गज संगीतकार इलैयाराजा की जगह रहमान को चुना। रोजा के लिए रहमान को 25 हजार रुपये फीस दी गई थी। पहली ही फिल्म के लिए उन्होंने नेशनल अवॉर्ड भी जीता था।

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मार्खम (ओंटारियो, कनाडा) में एक स्ट्रीट का नाम रहमान के नाम पर रखा गया है। इस स्ट्रीट को ‘अल्लाह रखा रहमान स्ट्रीट’ नाम दिया गया है और इसका उद्घाटन साल 2017 में हुआ था। एयरटेल की सिग्नेचर ट्यून तो लगभग हर किसी को याद होगी। कम ही लोगों को ये जानकारी होगी कि इस ट्यून को रहमान ने ही कंपोज किया था। एआर रहमान  का म्यूजिक तो लोगों को पसंद आता ही है।

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साथ ही साथ वो की-बोर्ड बजाने में भी परफेक्ट हैं। इसका सबसे बड़ा सबूत यह है कि एक बार उन्होंने एक ही वक्त में 4 कीबोर्ड बजाकर सभी को हैरान कर दिया था। रहमान अपने संगीत के लिए छह बार राष्ट्रीय पुरस्कार जीत चुके हैं। इनमें से पांच बेस्ट म्यूजिक डायरेक्शन और एक बेस्ट बैकग्राउंड स्कोर के लिए है।


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पहला अवॉर्ड 1992 में रोजा के लिए, दूसरा 1996 में तमिल फिल्म मीनसारा कनावु, तीसरा 2001 में लगान, चौथा 2002 में तमिल फिल्म Kannathil Muthamittal और पांचवां अवॉर्ड 2017 में तमिल फिल्म Kaatru Veliyidai के लिए जीता था।

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2017 में ही हिंदी फिल्म मॉम के लिए उन्होंने बेस्ट बैकग्राउंड स्कोर कैटेगरी में भी नेशनल अवॉर्ड जीता था। रहमान को ‘स्लमडॉग मिलियनेयर’ के लिए एक ही साल में 2 ऑस्कर मिले थे। स्लमडॉग मिलियनेयर के अलावा रहमान ने ‘127 अवॉर्ड’ और ‘लॉर्ड ऑफ वॉर’ हॉलीवुड फिल्मों के लिए भी शानदार म्यूजिक कम्पोज किया है।


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