अनुच्छेद-370 | जानिये अनुच्छेद-370 के बारे में कुछ गहरी बातें | क्यों हटाया गया अनुच्छेद 370? | The Nightmare Decision For terrorists |

अनुच्छेद-370

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11 दिसंबर 2023 को भारत के माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने अनुच्छेद 370 और 35A के निरस्तीकरण पर अपना ऐतिहासिक निर्णय सुनाया। इस निर्णय के माध्यम से न्यायालय ने भारत की संप्रभुता एवं अखंडता की संपुष्टि की, जिसे प्रत्येक भारतीय अपने मन में संजोकर रखता है। सर्वोच्च न्यायालय ने माना कि 5 अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 को निरस्त करने का सरकार का निर्णय—जिसने तत्कालीन जम्मू-कश्मीर राज्य के विशेष दर्जा को समाप्त कर दिया—संवैधानिक एकीकरण को बढ़ावा देने के लिये लिया गया था न कि विघटन के लिये। न्यायालय ने इस तथ्य को भी स्वीकार किया कि अनुच्छेद 370 अपनी प्रकृति में ‘अस्थायी’ (temporary) था।

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भारतीय संविधान में अनुच्छेद 370 जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा प्रदान करता था जो भारत, पाकिस्तान और चीन के मध्य एक विवादित क्षेत्र है। इसका मसौदा भारतीय संविधान सभा के सदस्य एन. गोपालस्वामी आयंगर ने तैयार किया था थे और इसे वर्ष 1949 में ‘अस्थायी उपबंध’ (temporary provision) के रूप में संविधान में जोड़ा गया था। इसने राज्य को अपना संविधान एवं ध्वज रखने के साथ ही रक्षा, विदेशी मामले एवं संचार को छोड़कर अधिकांश मामलों में स्वायत्तता रखने की अनुमति दी। यह विलय पत्र (Instrument of Accession) की शर्तों पर आधारित था, जिस पर वर्ष 1947 में पाकिस्तान के आक्रमण के बाद भारत में शामिल होने के लिये जम्मू-कश्मीर के शासक हरि सिंह ने हस्ताक्षर किये थे।

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सरकार ने अनुच्छेद 370 को किस प्रकार निरस्त किया?
1. राष्ट्रपति का आदेश (Presidential Order): वर्ष 2019 के राष्ट्रपति के आदेश में संसद ने एक प्रावधान पेश करते हुए ‘जम्मू और कश्मीर की संविधान सभा’ को ‘जम्मू और कश्मीर की विधान सभा’ के रूप में नया अर्थ प्रदान किया और फिर अनुच्छेद 370 को रद्द करने के लिये राष्ट्रपति शासन के माध्यम से विधान सभा की शक्तियों को ग्रहण कर लिया।


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2. संसद में संकल्प: संसद के दोनों सदनों, लोकसभा और राज्यसभा द्वारा क्रमशः 5 और 6 अगस्त 2019 को समवर्ती संकल्प पारित किये गए। इन संकल्पों ने अनुच्छेद 370 के शेष प्रावधानों को भी रद्द कर दिया और उन्हें नए प्रावधानों से प्रतिस्थापित किया।
3. जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम: जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 को संसद द्वारा 5 अगस्त 2019 को पारित किया गया। इस अधिनियम ने जम्मू और कश्मीर राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों- ‘जम्मू और कश्मीर’ तथा ‘लद्दाख’ में विभाजित कर दिया।

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अनुच्छेद 370 क्यों हटाया गया?
एकीकरण और विकास: अनुच्छेद 370 ने जम्मू-कश्मीर के भारतीय संघ में पूर्ण एकीकरण में बाधा डाली, अलगाववाद की भावना पैदा की और राज्य के विकास को बाधित किया।
यह माना जा रहा था कि पूर्ण एकीकरण से जम्मू-कश्मीर के लोगों के लिये संसाधनों, अवसंरचना और अवसरों तक बेहतर पहुँच की स्थिति बनेगी।

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राष्ट्रीय सुरक्षा: क्षेत्र में आतंकवाद और अलगाववाद का समर्थन करने के लिये पाकिस्तान द्वारा अनुच्छेद 370 का दुरुपयोग किया जा रहा था। इसे निरस्त करने से भारत सरकार के इस क्षेत्र पर अधिक नियंत्रण होने और आतंकवादी गतिविधियों पर नकेल कसने के रूप में राष्ट्रीय सुरक्षा सुदृढ़ होगी।


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भेदभाव समाप्त करना: अनुच्छेद 370 जम्मू-कश्मीर में महिलाओं, दलितों और हाशिये पर स्थित अन्य समूहों के विरुद्ध भेदभाव करता था। इसे निरस्त करने से ये समूह भारतीय कानूनों के दायरे में आ जाएँगे और उन्हें समान अधिकार एवं अवसर प्राप्त होंगे।

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पारदर्शिता और जवाबदेही: अनुच्छेद 370 ने जम्मू-कश्मीर के शासन में पारदर्शिता और जवाबदेही की कमी पैदा की। इसके निरसन से राज्य केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC) और सूचना का अधिकार अधिनियम (RTI) के दायरे में आ जाएगा, जिससे बेहतर प्रशासन एवं जवाबदेही सुनिश्चित होगी।
आर्थिक समृद्धि: अनुच्छेद-370 ने जम्मू-कश्मीर में आर्थिक विकास को बाधित किया। इसे निरस्त करने से क्षेत्र में अधिक निवेश, पर्यटन और रोज़गार सृजन की अनुमति मिलेगी।


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